2025 तक भारत में बने चिप्स: ‘मेड-इन-इंडिया’ चिप्स का लॉन्च

भारत का सेमीकंडक्टर सपना आखिरकार हकीकत बनने की ओर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2025 पर यह घोषणा की कि इस वर्ष के अंत तक भारत में बने चिप्स (Made-in-India Chips) बाज़ार में उपलब्ध होंगे। यह ऐलान न सिर्फ टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है।

क्यों ज़रूरी है भारत का चिप निर्माण?

आज की दुनिया पूरी तरह चिप्स पर आधारित है। स्मार्टफोन, लैपटॉप, कारें, मेडिकल उपकरण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस रिसर्च—हर क्षेत्र में सेमीकंडक्टर की अहम भूमिका है। अभी तक भारत अपनी ज़रूरतों का 90% से ज़्यादा चिप्स ताइवान, चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से आयात करता रहा है।

कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान सप्लाई चेन टूटने से भारत ने महसूस किया कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ तभी संभव है जब देश खुद चिप निर्माण में सक्षम हो।

2025 की प्रगति: कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स आगे बढ़ रहे हैं?

1. टाटा-पावरचिप FAB (गुजरात, धोलेरा)

  • निवेश: लगभग ₹91,000 करोड़
  • क्षमता: 50,000 वाफ़र प्रति माह
  • पार्टनर: ताइवान की Powerchip Semiconductor Manufacturing Corporation

यह भारत का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर FAB होगा, जिससे ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

2. TSAT सुविधा (असम, जगीरोड)

  • निवेश: ₹27,000 करोड़
  • कंपनी: Tata Semiconductor Assembly and Test
  • विशेषता: पैकेजिंग और टेस्टिंग टेक्नोलॉजी

यह यूनिट पूर्वोत्तर भारत को सेमीकंडक्टर हब में बदलने की दिशा में बड़ा कदम है।

3. नए चार सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स (2025)

हाल ही में केंद्र सरकार ने ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पंजाब में ₹4,594 करोड़ की लागत से चार नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इसमें सिलिकॉन कार्बाइड FAB और एडवांस्ड पैकेजिंग यूनिट्स शामिल हैं।

4. Kaynes Semicon (गुजरात)

Kaynes ने जुलाई 2025 से चिप पैकेजिंग और टेस्टिंग शुरू कर दी है। इनके प्रोडक्ट्स अब इंटरनेशनल कंपनियों को भी सप्लाई हो रहे हैं।

5. HCL–Foxconn JV (यूपी, जेवर)

यह प्रोजेक्ट डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स पर केंद्रित है। लगभग ₹3,700 करोड़ का निवेश और 2027 तक उत्पादन शुरू होने की योजना है।

भारत की रणनीति: डिज़ाइन + निर्माण = ताकतवर इकोसिस्टम

भारत सिर्फ निर्माण (manufacturing) पर ही नहीं बल्कि डिज़ाइन इकोसिस्टम पर भी ध्यान दे रहा है।

  • अब तक 23 डिज़ाइन प्रोजेक्ट्स को Design Linked Incentive (DLI) योजना के तहत मंजूरी मिल चुकी है।
  • IIT मद्रास और ISRO ने मिलकर IRIS (SHRAKTI आधारित प्रोसेसर चिप) तैयार की है, जो अंतरिक्ष मिशनों में इस्तेमाल होगी।

इससे भारत वैश्विक स्तर पर end-to-end semiconductor hub बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है

सरकार की नीतियां और समर्थन

भारत सरकार ने 2021 में Semicon India Programme लॉन्च किया था, जिसके तहत ₹76,000 करोड़ की प्रोत्साहन राशि (incentives) दी जा रही है। अब “Semicon 2.0” के ज़रिए लक्ष्य रखा गया है कि 2030 तक भारत वैश्विक चिप उत्पादन का कम से कम 5% हिस्सा हासिल कर ले।

साथ ही, राज्यों को भी पॉलिसी सपोर्ट, बिजली सब्सिडी, जमीन, और टैक्स इंसेंटिव दिए जा रहे हैं ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं

हालांकि प्रगति तेज़ है, लेकिन चुनौतियाँ भी बड़ी हैं:

  • हाई टेक्नोलॉजी डिपेंडेंसी: अभी भारत को मशीनरी और रॉ मटीरियल के लिए बाहर पर निर्भर रहना पड़ता है।
  • स्किल्ड वर्कफोर्स: चिप डिज़ाइन और FAB ऑपरेशन के लिए बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग स्किल्स की जरूरत है।
  • ग्लोबल प्रतिस्पर्धा: ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले भारत को समय और टेक्नोलॉजी में तेजी दिखानी होगी।

भारत में बने चिप्स से क्या बदल जाएगा?

  1. आत्मनिर्भरता: आयात पर निर्भरता घटेगी, विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
  2. रोज़गार के अवसर: लाखों इंजीनियर और तकनीशियन को नए रोजगार मिलेंगे।
  3. इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग बूस्ट: स्मार्टफोन, लैपटॉप, EVs और IoT डिवाइस की लागत घटेगी।
  4. रणनीतिक मजबूती: रक्षा और स्पेस टेक्नोलॉजी में भारत स्वावलंबी बनेगा।
  5. वैश्विक सप्लाई चेन में योगदान: भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का नया हब बन सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: भारत में पहला मेड-इन-इंडिया चिप कब तक आएगा?
उत्तर: प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि 2025 के अंत तक बाजार में भारतीय चिप्स उपलब्ध होंगे।

प्रश्न 2: सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट कौन सा है?
उत्तर: टाटा–Powerchip का धोलेरा (गुजरात) FAB, जिसकी लागत ₹91,000 करोड़ है।

प्रश्न 3: क्या भारत 100% आत्मनिर्भर हो पाएगा?
उत्तर: फिलहाल पूरी आत्मनिर्भरता में समय लगेगा, लेकिन 2030 तक भारत 5% वैश्विक चिप मार्केट पर कब्ज़ा करने का लक्ष्य रखता है।

प्रश्न 4: क्या इसमें स्टार्टअप्स की भी भूमिका है?
उत्तर: हाँ, L&T समर्थित LTSCT और कई फैब्लेस स्टार्टअप्स भारत में चिप डिज़ाइन और पैकेजिंग पर काम कर रहे हैं।

निष्कर्ष

भारत का सेमीकंडक्टर सफर अब सिर्फ एक सपना नहीं बल्कि हकीकत बनता जा रहा है। 2025 में “मेड-इन-इंडिया” चिप्स का लॉन्च देश के लिए मील का पत्थर होगा। यह सिर्फ टेक्नोलॉजी या इंडस्ट्री की उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक स्वतंत्रता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बड़ा कदम है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक चिप सप्लाई चेन में कितना बड़ा खिलाड़ी बन पाता है।

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